सोनभद्र : जिले ही नहीं अपितु आसपास के कई जिलों के प्रसिद्ध मंदिरों में मां वैष्णो शक्तिपीठ धाम मंदिर का स्थान विशिष्ट है। यह वाराणसी-शक्तिनगर मुख्य मार्ग पर बारी-डाला क्षेत्र में स्थित है। ओबरा से आठ किमी पूरब व चोपन से पांच किमी दक्षिण तथा डाला से तीन किमी उत्तर दिशा के बारी में मुख्य मार्ग पर है यह मंदिर। सन 2004 में जम्मू स्थित कटरा से मां वैष्णो की अखंड ज्योति एक सप्ताह में लाई गयी थी और शारदीय नवरात्र में मां जगदम्बा के सभी विग्रहों का प्राण प्रतिष्ठा किया गया था। जम्मू से लायी गयी अखंड ज्योति आजतक अनवरत जल रही है। यहां जनपद से ही नहीं अपितु बिहार, झारखंड, छतीसगढ़, मध्यप्रदेश व अन्य प्रदेशों से भी श्रद्धालु हमेशा दर्शन के लिए आते रहते हैं। मान्यता है कि सच्चे मन से मांगी गयी हर मुराद मां जरूर पूरा करती हैं। यहां रामनवमी में लाखों की संख्या में भक्त दर्शन करने दूरदराज से आते हैं।
क्या है इतिहास
मां वैष्णो शक्तिपीठ धाम की स्थापना का इतिहास एक आश्चर्यजनक घटना पर आधारित है। सन 2001 में चोपन निवासी मदनलाल गर्ग अपने घर से कार द्वारा डाला के बारी क्षेत्र में स्थित क्रशर प्लांट पर आ रहे थे कि अचानक उनकी कार वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग पर सामने से आ रही ट्रक में जा घुसा। दुर्घटना जबर्दस्त थी, जिसे देखकर लोग बड़ी घटना की आशंका व्यक्त कर रहे थे। घंटों प्रयास के बाद जब ट्रक के अन्दर से कार निकाला गया और कार खोलने पर वे बिल्कुल सुरक्षित निकलने। यह घटना देख लोग आश्चर्यचकित हो गये। उसी समय उनके मुंह से मां वैष्णो का नाम निकला और सभी लोगों ने मंदिर निर्माण कराये जाने की ठान ली। वर्षों पहले वहां घनघोर जंगल था, जहां अक्सर बाघों व अन्य जंगली जानवरों का आना जाना था। इस रोड पर दुर्घटना भी होता था। दुर्घटना वाले स्थान के ठीक सामने ही जम्मू से अखंड ज्योति लाकर भव्य मंदिर का निर्माण हुआ, जिसके निर्माण में सवा तीन वर्ष का समय लगा।
क्या है विशेषता
यह क्षेत्र पूरा सुनसान इलाका था, जिसके चारों तरफ जंगल था। इतने बड़े मंदिर निर्माण की कल्पना लोगों की नहीं थी। जब मंदिर का निर्माण शुरू हुआ तो मां की असीम कृपा से पैसा आता गया और मंदिर निर्माण का कार्य बढ़ता गया। मंदिर निर्माण के लिए कभी पैसों की कमी नहीं हुई। जिस दिन जम्मू से अखंड ज्योति नवनिर्मित मंदिर में लाई गयी तो अचानक मौसम बदल गया और एकाएक तेज हवा, बादलों की गरज के साथ घनघोर बारिश हुई, जिससे लोगों को एहसास हुआ कि वास्तव में कोई शक्ति का पदार्पण मंदिर में हुआ है। मंदिर के अंदर की गुफा का बनावट बिलकुल प्राकृतिक लगता है। जगह-जगह जंगल और जंगली जानवर हाथी, बाघ ,चीता, लंगूर, बंदर, भालू, सांप का प्रतिरूप निर्मित है जो देखने से मन खुशी से भर जाता है।