पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए जिले में एक गांव एक बाग की तर्ज पर पौधारोपण कराए जाने की योजना बनाई गई है। इस दिशा में भूमि के चिन्हांकन, पौधों की तलाश, नर्सरी डालने का काम भी शुरू हो चुका है। हर गांव में अच्छे क्वालिटी के फलदार पौधे लगें इसके लिए योजनाबद्ध तरीके से काम हो रहा है। जरूरत के मुताबिक गांव की बागवानी में वाराणसी का लंगड़ा और लखनऊ के मलिहाबाद का दशहरी आम भी लगाया जाना है। इसके लिए वहां की नर्सरियों से बात भी की जा चुकी है।
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण जब लॉकडाउन हुआ तो विभिन्न राज्यों से प्रवासी श्रमिक अपने घर लौटने लगे। घर आए मजदूरों को काम देना प्रशासन के लिए चुनौती बन गई। ऐसे में इस साल एक गांव एक बाग की तर्ज पर गांवों में पौधारोपण व बागवानी लगाने का प्रस्ताव बना। इसमें मनरेगा योजना से गड्ढा खोदवाने, पौधा लगवाने और बागवानी लगाने वाले को 90 दिन का रोजगार भी मुहैया कराने की योजना बनी है। उद्देश्य यह है कि इससे प्रवासी श्रमिकों को रोजगार भी मिलेगा।
200 पौधों का होगा बगीचा
एक गांव एक बाग के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक-एक बाग लगाया जाएगा। इसमें प्राथमिकता यह होगी कि वहां कोई सार्वजनिक भूमि मिल जाए, बंजर, ग्राम समाज की भूमि मिलती है तो इसपर पोधारोपण कराया जाएगा। अगर नहीं तो कोई भी व्यक्ति चाहे तो अपने खेत में पौधारोपण करा सकता है। उसके लिए कुछ शर्तें निर्धारित की गई हैं। एक बाग में 200 पौधे लगाए जाएंगे। लंगड़ा और दशहरा दोनों के तीन-तीन हजार पौधे बाहर से मंगाए जाने हैं। एक गांव एक बाग के तहत गांवों में पौधारोपण किया जाना है। इस बार मलिहाबाद लखनऊ का प्रसिद्ध दशहरी और वाराणसी का लंगड़ा आम रोपित कराया जाना है। आवास व शौचालयों के आस-पास सहजन का पौधा रोपित कराया जाएगा। मनरेगा योजना से पौधे लगवाने, देखभाल करने का भी धन मिलेगा।