गुजरात में फंसे जिले के 151 प्रवासी श्रमिकों को भले ही सरकार ने विशेष ट्रेन से शुक्रवार को गृह जनपद भेज दिया लेकिन अभी भी तमाम राज्यों में प्रवासी श्रमिकों की राह आसान नहीं हुई है। कोरोना वायरस के कारण जारी लॉकडाउन-3 में भी देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे लोगों की डगर कठिन व कांटों भरी है। जिले के दो हजार से ज्यादा श्रमिक अभी भी दूसरे राज्यों में फंसे हैं।
झारखंड राज्य के गढ़वा में परिवार के साथ रहकर पानी पुरी यानी फुल्की का व्यवसाय करने वाले जालौन (उरई) के 30 लोगों की डगर आसान नहीं हो सकी। गढ़वा से जालौन तक साढ़े पांच सौ किमी रास्ता तय करना हिमालय पर चढ़ने जैसा साबित हुआ। उरई निवासी नेकपाल, चंद्रपाल, राहुल वर्मा, रजनी, संगीता, पिकी, बिट्टी सहित 20 बड़े व 10 बच्चों की यह टोली शनिवार की सुबह गढ़वा से निकली थी। गढ़वा में एक अधिकारी से संपर्क किया। उन्होने तमाम तरह की दुश्वारियां गिनाते हुए उन्हें एक वाहन से जिले की झारखंड से लगने वाली सीमा विढमगंज भेज दिया। विढमगंज से इन सभी को एक बस से शनिवार को राबर्ट्सगंज भेजा गया। चंडी तिराहा पर डेरा जमाए इन प्रवासी श्रमिकों के सामने राबर्ट्सगंज से जालौन जाना काफी परेशानी की सबब बन गया। इन प्रवासी श्रमिकों ने जिला प्रशासन के कई अधिकारियों से संपर्क किया लेकिन किसी ने उनकी सुधि नहीं ली।