तालाब निर्माण में काम करने वाले बिरधी के मजदूर मजदूरी भुगतान न होने से नाराज होकर गुरुवार को कलेक्ट्रेट पहुंच गए। वहां जिलाधिकारी को ज्ञापन देने का प्रयास किए लेकिन गेट बंद होने के कारण निराश होकर विकास भवन चले गए। वहां परियोजना निदेशक को ज्ञापन देकर समस्या से अवगत कराया। कहा कि पात्रों को आवास व शौचालय न देकर अपात्रों को दिया जा रहा है। इसकी भी जांच कराई जानी चाहिए।
चतरा ब्लाक के बिरधी गांव के करीब 50 मजदूर सुबह 11 बजे ही कलेक्ट्रेट पहुंच गए। जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर खड़े मजदूर वहां तैनात गार्डों से अंदर प्रवेश दिलाने का अनुरोध किए। जब सफलता नहीं मिली तो वे विकास भवन पहुंचे। कहा कि ग्राम पंचायत की भूमि में मनरेगा के तहत नए तालाब की खोदाई ग्राम प्रधान द्वारा कराई गई। 26 अप्रैल से काम कर रहे मजदूरों को अब तक मजदूरी नहीं मिली। इतना ही नहीं किसी के जाबकार्ड पर भी उपस्थिति नहीं चढ़ाई गई है। जो लोग काम नहीं किए हैं उनका नाम चढ़ाकर मजदूरी दिए जाने का आरोप लगाया। इतना ही नहीं मजदूर वर्ग के लोगों को आवास व शौचालय भी नहीं मिला। नाराजगी जताने के दौरान कई बार मजदूरों द्वारा शारीरिक दूरी का उल्लंघन किया गया। शिकायत करने वालों में सुनीता देवी, अनीता, सावित्री, जगनरायन, पार्वती, कलावती, फूलवंती, शीला, तेतरी, मीना, संतोष, विनोद आदि शामिल रहे। मैं गांव में गया था। जानकारी लिया हूं। इनकी दो हफ्ते की मजदूरी का भुगतान हो चुका है। जो पीएफएमएस के माध्यम से लखनऊ से सीधे मजदूरों के खाते धनराशि जाती है। इसमें कभी-कभी थोड़ा समय जरूर लगता है। ग्राम प्रधान को निर्देशित किया गया है कि मस्टररोल की फोटो कॉपी कराकर ग्राम पंचायत के सार्वजनिक स्थल पर चस्पा कराएं। जिससे मजदूरों में किसी तरह का भ्रम न रहे।