मधुपुर के पास स्थित औरहवा गांव निवासी राधेश्याम अपनी पत्नी आरती अपने मासूम बेटे के साथ गुजरात के अहमदाबाद में रहते हैं। गत दिनों जहां काम करते थे वह कंपनी बंद हुई तो वे घर के लिए निकल पड़े। वाराणसी के लिए चली श्रमिक स्पेशल ट्रेन से आए। रेलवे स्टेशन पर थर्मल स्क्रीनिग तो हुई लेकिन कोई पर्ची आदि नहीं मिली थी। लिहाजा स्वस्थ होने का का कोई प्रमाण नहीं था। बुधवार की रात में जब घर पहुंचे तो परिवार के लोगों ने यह कहते हुए घर में आने से रोका दिया कि पहले जांच कराकर प्रमाण लाओ। ऐसे में राधेश्याम गुरुवार को लोढ़ी स्थित जिला अस्पताल पहुंचे और थर्मल स्क्रीनिग कराकर प्रमाण पत्र लिए।
ऐसी समस्याएं बड़ी होती देख स्वास्थ्य विभाग ने प्रवासी मजदूरों को प्रमाण पत्र देने का निर्णय लिया है। गुरुवार को जिला अस्पताल में एक अलग काउंटर लगाकर आने वाले प्रवासी श्रमिकों की थर्मल स्क्रीनिग की गई। कुल 145 मजदूरों की जांच कर उन्हें पर्ची दी गई। पर्ची पर उनके शरीर का तापमान और 21 दिन के होम क्वारंटाइन के निर्देश की मुहर भी लगाई गई। जांच करने वाले डा. अरुण कुमार चौबे ने बताया कि अब गांव के लोग भी जागरूक हो रहे हैं। उन्हें पर्ची देकर उस पर 21 दिन के होम क्वारंटाइन का निर्देश दिया जाता है। साथ ही कुछ टीम गांवों में जाकर भी जांच के लिए लगी है।