आपका बच्चा अगर स्मार्ट फोन की आदती है, मना करने पर वह आक्रामक हो जाता है। इसके अलावा किसी के घर कोई व्यक्ति आत्महत्या का प्रयास कर चुका है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। जल्द ही ऐसे लोगों का समुचित इलाज की व्यवस्था जिला अस्पताल में उपलब्ध होगी। स्वास्थ्य निदेशक मधु सक्सेना ने प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों को पत्र जारी कर मोबाइल नशा को गंभीरता से लेते हुए जिला अस्पताल में मन-कक्ष की स्थापना करने का निर्देश दिया है। स्वास्थ्य निदेशक के आदेश के क्रम में जिला अस्पताल में मन-कक्ष की स्थापना कर दी गई है। मुख्य चिकित्साधिकारी एसपी सिंह ने बताया कि वर्तमान समय में स्मार्ट फोन आमजन की कमजोरी बन गई है। सबसे अधिक इसका दुष्प्रभाव युवा वर्ग में देखा जा रहा है। इस मामले को शासन ने गंभीरता से लेते हुए इसके रोकथाम के क्रम में ठोस कदम उठाने का निर्णय लिया है। अत्यधिक मोबाइल के प्रयोग से आंखें होती हैं शुष्क
सीएमओ ने बताया कि जिला चिकित्सालय में संचालित मन कक्ष में बच्चों को मोबाइल के नशे से मुक्त किया जाएगा। बताया कि इस दौरान आत्महत्या की रोकथाम, मोबाइल नशामुक्ति, नवीन मनोविकारों के रोकथाम का प्रयास परामर्श व औषधियों के द्वारा किया जाएगा। कहा कि मोबाइल का अधिक प्रयोग करते-करते आजकल युवा, वयस्क सहित प्रत्येक आयु वर्ग में एक नवीन रोग ने जन्म लिया है। मोबाइल का प्रयोग लोगों द्वारा इस हद तक किया जा रहा है कि उनकी आंखें भी शुष्क हो जा रही हैं। यदि बच्चों से मोबाइल ले लिया जाय या उन्हें मोबाइल प्रयोग करने से मना किया जाए तो वे आक्रामक हो रहे हैं। ऐसा भी देखा गया है कि परीक्षाओं में कम अंक लाने, अनुत्तीर्ण होने, मोबाइल गेम्स खेलने एवं अन्य कारणों से लोगों में आत्महत्या की प्रवृत्ति भी बढ़ रही है। श्री सिंह ने बताया कि ऐसे मामलों को काउंसलिग एवं आवश्यकतानुसार औषधियों द्वारा प्रथम चरण में ठीक किया जा सकता है।